शीर्षक: ई-खरीद हरियाणा में किसान की व्यक्तिगत जानकारी का महत्व: पारदर्शी कृषि व्यवस्था की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम

परिचय
भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्य में किसानों की भलाई और उनकी आय में वृद्धि राज्य सरकार की प्राथमिकता रही है। इन्हीं लक्ष्यों की पूर्ति के लिए हरियाणा सरकार ने “ई-खरीद” (e-Kharid) पोर्टल की शुरुआत की है। यह एक डिजिटल प्रणाली है जो मंडियों में फसल की सरकारी खरीद को पारदर्शी, सुगम और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए विकसित की गई है।

ई-खरीद पोर्टल पर पंजीकरण के लिए किसानों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी दर्ज करनी होती है। यह जानकारी केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि फसल का उचित मूल्य वास्तविक किसान को मिले और कोई भी दलाल या बिचौलिया उनके हक को न छीन सके। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किसान की व्यक्तिगत जानकारी क्या होती है, इसे कैसे दर्ज किया जाता है, इसका क्या महत्व है, और यह प्रणाली किसानों के लिए किस प्रकार लाभकारी सिद्ध हो रही है।

1. ई-खरीद क्या है?
ई-खरीद हरियाणा सरकार का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल की खरीद को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। यह पोर्टल मुख्य रूप से गेहूं, धान, मक्का, जौ आदि फसलों की खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

इस व्यवस्था में किसान ऑनलाइन पंजीकरण करता है, अपनी फसल और जमीन से जुड़ी जानकारी दर्ज करता है और खरीद केंद्र पर अपनी उपज बेचता है। भुगतान सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है।

2. किसान की व्यक्तिगत जानकारी में क्या-क्या शामिल होता है?
ई-खरीद पोर्टल पर पंजीकरण करते समय किसान को निम्नलिखित व्यक्तिगत विवरण भरने होते हैं:

1. पूरा नाम (Full Name):
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार किसान का सही नाम।

2. पिता या पति का नाम (Father/Husband’s Name):
किसान की पहचान की पुष्टि के लिए आवश्यक।

3. पूरा पता (Permanent Address):
गाँव, तहसील, जिला, राज्य सहित विस्तृत पता।

4. मोबाइल नंबर:
OTP सत्यापन एवं संचार के लिए जरूरी।

5. आधार नंबर:
यूनीक पहचान के लिए अनिवार्य। यह नंबर बैंक खातों और सरकारी योजनाओं से जुड़ा होता है।

6. जमीन की जानकारी:
खसरा नंबर

खेत का कुल क्षेत्रफल

सिंचाई की सुविधा

भूमि के स्वामित्व के प्रमाण

7. फसल की जानकारी:
किस फसल की बिक्री करनी है (जैसे गेहूं, धान)

फसल का अनुमानित उत्पादन (क्विंटल में)

बुवाई और कटाई की तिथि

8. बैंक खाता विवरण:
बैंक का नाम

खाता संख्या

IFSC कोड

बैंक शाखा

यह जानकारी इसलिए आवश्यक है ताकि खरीद का भुगतान सीधे किसान के खाते में किया जा सके।

3. यह जानकारी क्यों आवश्यक है?
‌i) फर्जी पंजीकरण रोकने के लिए:
यदि किसान की सही जानकारी दर्ज नहीं की जाती तो कोई अन्य व्यक्ति गलत जानकारी देकर सरकारी लाभ उठा सकता है।

‌ii) सीधे लाभ अंतरण (DBT) के लिए:
जब किसान का बैंक खाता आधार और ई-खरीद पोर्टल से जुड़ा होता है, तो फसल का भुगतान सीधे उसके खाते में किया जाता है।

‌iii) खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता:
सरकार को सही आंकड़े मिलते हैं कि किसने, कितनी फसल बेची और उसे कितना भुगतान हुआ।

‌iv) नीतिगत योजना निर्माण में सहायक:
किसानों की जानकारी से सरकार कृषि योजनाएं बेहतर ढंग से बना सकती है, जैसे बीमा, अनुदान आदि।

4. जानकारी भरते समय ध्यान देने योग्य बातें
केवल वही जानकारी दर्ज करें जो सही हो और सरकारी दस्तावेजों से मेल खाती हो।

आधार कार्ड और बैंक की जानकारी सावधानी से भरें।

खेत की जानकारी राजस्व रिकॉर्ड से सत्यापित करें।

पंजीकरण के बाद उसका प्रिंटआउट या स्क्रीनशॉट सुरक्षित रखें।

मोबाइल नंबर सक्रिय हो और OTP रिसीव करने में सक्षम हो।

5. पंजीकरण की प्रक्रिया
ई-खरीद पोर्टल पर किसान का पंजीकरण निम्नलिखित चरणों में होता है:

https://ekharid.haryana.gov.in वेबसाइट पर जाएं।

“किसान पंजीकरण” टैब पर क्लिक करें।

आधार नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करें।

OTP द्वारा मोबाइल सत्यापन करें।

किसान की व्यक्तिगत, बैंक और भूमि से जुड़ी जानकारी भरें।

आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें – आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड, बैंक पासबुक की प्रति।

पंजीकरण फॉर्म सबमिट करें और प्राप्त पंजीकरण नंबर नोट कर लें।

6. किसान की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग रोकना
हरियाणा सरकार ने किसान की जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए उचित साइबर सुरक्षा मानकों को अपनाया है। फिर भी किसान को चाहिए कि वह:

किसी को अपना आधार नंबर और बैंक खाता नंबर साझा न करे।

पंजीकरण केवल सरकारी पोर्टल पर ही करें।

किसी भी फर्जी एजेंट से सावधान रहें जो पंजीकरण या भुगतान के नाम पर पैसे मांगते हैं।

7. किसानों के लिए इसके लाभ
सीधे भुगतान:
MSP पर खरीदी गई फसल का मूल्य सीधे बैंक खाते में आता है।

पारदर्शिता:
किसान को पता होता है कि उसकी फसल कब, कितनी और किस रेट पर बिकी।

डिजिटल सशक्तिकरण:
किसान तकनीक से जुड़ता है और फर्जीवाड़े से बचता है।

सरकारी योजनाओं तक पहुंच:
एक बार पंजीकरण होने के बाद किसान को अन्य योजनाओं (बीमा, अनुदान) में भी लाभ आसानी से मिल सकता है।

8. निष्कर्ष
हरियाणा सरकार की ई-खरीद योजना किसानों के लिए एक अत्यंत लाभकारी और क्रांतिकारी पहल है। इसमें किसान की व्यक्तिगत जानकारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी जानकारी के आधार पर किसान को खरीद का लाभ, भुगतान, और सरकारी योजनाओं का सीधा फायदा मिलता है। यदि किसान यह जानकारी सही तरीके से, सच्चाई से और समय पर दर्ज करते हैं तो उन्हें मंडियों की लंबी लाइनों, भ्रष्टाचार और बिचौलियों से निजात मिल सकती है।

हरियाणा का हर किसान अब डिजिटल युग में कदम रख चुका है — पारदर्शिता, सुविधा और अधिकार के साथ।

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