OSI Model क्या है? – OSI Model Kya Hai

OSI Model Kya Hai – दोस्तों आज हम आपको OSI Model यानी की Open System Interconnection (OSI) के बारे में विस्तार से बताएंगे।OSI का पूरा नाम Open System Interconnection है, क्योंकि यह संवाद के लिए खुली प्रणालियों के मध्य परस्पर संयोजन करता है। इसे ISO -OSI Model भी कहते है।

 

OSI Model क्या है? (OSI Model Kya Hai in Hindi) –

इस Model को International Standards Organization सन 1983 में विकसित किया था। तो OSI का पूरा नाम Open System Interconnection है, क्योंकि यह संवाद के लिए खुली प्रणालियों के मध्य परस्पर संयोजन करता है। इसे ISO -OSI Model भी कहते है। OSI रेफरेंस मॉडल में 7 लेयर होती है। नेटवर्किंग में दो नोड्स के बीच सूचना के अदान प्रदान में प्रत्येक स्तर पर किसी एक प्रकार का कार्य संपन्न होता है। 

 

फिजिकल लेयर (Physical Layer) –

इस लेयर का उपयोग कम्युनिकेशन माध्यम से जुडे किन्हीं दो नोटिस के मध्य बीट सीक्वेंस ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है। यह एक वर्चुअल लिंक मैकेनिक इंटरफेस प्रदान करता है। 

इसका मुख्य कार्य डाटा लिंक लेयर से प्राप्त सिगनलों को बदलना है जो कम्युनिकेशन माध्यम पर आ सके और दूसरे सायरीपरी है। कम्युनिकेशन माध्यम से प्राप्त सिगनलों को बीट में बदलकर डाटा लिंक लेयर को भेजता रहे।

 

डाटा लिंक लेयर (Data Link Layer) –

किन्हीं दो नोटिस के मध्य तृतीय से रहित कम्युनिकेशन की स्थापना करना ही डाटा लिंक लेयर का कार्य है। यह लेयर यदि सही प्रकार से कार्य करती है, तो नेटवर्क में डाटा ट्रांसमिशन त्रुटि रहित होता है। यह ले नेटवर्क लेयर से पैकेट प्राप्त कर उनको 1000 बीट्स तक में विभाजित कर देती है। इसके बाद फिजिकल लेयर की मदद से ट्रांसमिशन होता है। 

दूसरी ओर डेटा लिंक लेयर प्राप्त किए गए ट्रांसमिशन में त्रुटि का पता लगाने व उसे दूर करने का कार्य करती है। यदि ट्रांसमिशन दोनों दिशाओं में होता है तो नहीं समस्या उत्पन्न हो सकती है। उसके लिए डाटा लिंक लेयर के पास कोई समाधान नहीं है।

 

नेटवर्क लेयर (Network Layer) –

इस लेयर का कार्य डाटा को किस रास्ते से ट्रांसमिट करना है, उसका चुनाव करना है। इसे Souting कहा जाता है। डाटा को ट्रांसमिट करने में विभिन्न समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में इन समस्याओं का समाधान भी नेटवर्क लेयर में होता है। 

डाटा ट्रांसमिट करने में लगने वाले समय की गणना व उससे संबंधित खातों का निर्धारण भी नेटवर्क लेयर में होता है। नेटवर्क लेयर डाटा लिंक लेयर से सिग्नल प्राप्त करके उन्हें ट्रांसपोर्ट लेयर में भेज देती है।

 

ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer) –

इस लेयर का प्रमुख कार्य सेशन लेयर से प्राप्त सिग्नल को विभिन्न छोटे-छोटे पकटन में विभाजित करना है। इसके बाद इन पकटन को उनके निर्धारित स्थान पर ट्रांसमिट कर दिया जाता है। 

ट्रांसपोर्ट लेयर नेटवर्क लेयर से पैकेट प्राप्त करके उसमें मैसेज लेयर में भेज देती है। यह लेयर मैसेज प्राप्त करने के बाद प्राप्त की सूचना भी देती है।ट्रांसपोर्ट लेयर डाटा ट्रांसमिट किए जाने में किस प्रकार की त्रुटियां वितरण में डाटा नष्ट ना हो इसका भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

 

सेशन लेयर (Session Layer) –

OSI Model Kya Hai – यह लेट दो अलग-अलग कंप्यूटरों में स्थित प्रोग्राम के बीच एक प्रकार का संबंध स्थापित करती है। सेशन लेयर से संबंध स्थापित करने के लिए यूजरनेम व उसका पासवर्ड भी Use करना होता है।

एक बार जब कनेक्शन स्थापित हो जाता है, तब यह आपस में प्रोग्राम को कम्युनिकेट कर सकते है। संबंध स्थापित करने के लिए सिंपलेक्स, डुप्लेक्स, ट्रांसमिशन मोड काम में आ सकता है। सेशन लेयर के मध्य and to and कनेक्शन होता है।

 

प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation Layer) –

OSI Model Kya Hai – नेटवर्क ट्रांसमिशन के लिए प्रयोग किए जाने वाला फॉर्मेट वह डाटा प्रेजेंटेशन में काम करने वाला फॉर्मेट अलग-अलग होता है। इसमें डाटा को ट्रांसलेट करने का कार्य प्रेजेंटेशन लेयर करती है। इसके लिए सामान्यतः ASCII कोड का प्रयोग करते है। 

इसके साथ-साथ डाटा कंप्रेशन वी डी कंप्रेशन का कार्य भी इसीलिए द्वारा किया जाता है, जिससे अधिक कार्य कुशलता से डाटा ट्रांसमिट हो सकता है। प्रेजेंटेशन लेयर के मध्य and to and कनेक्शन होता है।

 

एप्लीकेशन लेयर (Application Layer) –

OSI Model Kya Hai – यह लेयर यूजर को इस प्रकार की सेवाएं प्रदान करती है कि यूजर आसानी से नेटवर्क का उपयोग कर सके। इस लेयर का प्रमुख कार्य फाइलों को ट्रांसफर करना है। नेटवर्क में अलग-अलग कंप्यूटरों में फाइल रखने के तरीके भिन्न-भिन्न हो सकते है। 

इस असमानता को दूर करने का कार्य एप्लीकेशन लेयर करती है। इस लेयर के मध्य भी सेशन लेयर में प्रेजेंटेशन लेयर की तरह end to end कनेक्शन होता है।

 

FAQs –

Q 1. OSI Model क्या है?

Ans – इस Model को International Standards Organization सन 1983 में विकसित किया था। तो OSI का पूरा नाम Open System Interconnection है, क्योंकि यह संवाद के लिए खुली प्रणालियों के मध्य परस्पर संयोजन करता है।

Q 2. फिजिकल लेयर क्या है?

Ans – इस लेयर का उपयोग कम्युनिकेशन माध्यम से जुडे किन्हीं दो नोटिस के मध्य बीट सीक्वेंस ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है। यह एक वर्चुअल लिंक मैकेनिक इंटरफेस प्रदान करता है। 

Q 3. डाटा लिंक लेयर क्या है?

Ans – किन्हीं दो नोटिस के मध्य तृतीय से रहित कम्युनिकेशन की स्थापना करना ही डाटा लिंक लेयर का कार्य है। यह लेयर यदि सही प्रकार से कार्य करती है, तो नेटवर्क में डाटा ट्रांसमिशन त्रुटि रहित होता है।

 

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निष्कर्ष (Conclusion) –

OSI Model Kya Hai – दोस्तों आज हमने आपको “OSI Model Kya Hai” के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध करवाई है। अगर आपको यह Article (आर्टिकल) अच्छा लगा है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर Share करें और अगर आप इस Article (आर्टिकल) से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते है। 

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