Computer Network क्या है? – Computer Network क्या है? – दोस्तों आज हम आपको Computer Network के बारे में बताएगे। Computer Network आपस में जुड़े हुए Computer का एक जाल है, जो की भोगोलिक रूप से अलग अलग स्थानों पर रखे होते है। Computer एक दुसरे से कम्युनिकेशन लिंक से जुड़े होते है और ऑटोनॉस होते है।
Computer Network (Computer Network Kya Hai) –
किसी एक ही प्रक्रिया से जुड़े निकायों का आपस में जुड़ा होना उसकी Networking कहलाती है। इसी प्रकार Computer Network आपस में जुड़े हुए Computer का एक जाल है, जो की भोगोलिक रूप से अलग अलग स्थानों पर रखे होते है। Computer एक दुसरे से कम्युनिकेशन लिंक से जुड़े होते है और ऑटोनॉस होते है।
कंप्यूटर नेटवर्क सुचारू रूप से कार्य करें इसके लिए नेटवर्क में बहाने वाले ट्रैफिक के कुछ नियमों का पालन करना होता है। प्रोटोकॉल द्वारा प्रत्येक कंप्यूटर एक दूसरे में Store Program, डाटा फाइल तथा हार्डवेयर युक्त का भी प्रयोग कर सकता है।
कंप्यूटर नेटवर्किंग का अध्ययन हम निम्न बिंदुओं के अंतर्गत करेंगे –
नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology) –
कंप्यूटर नेटवर्किंग टोपोलॉजी का तात्पर्य है व्यवस्था जिसके तहत नेटवर्क में उपस्थित विभिन्न कंप्यूटर एक दूसरे से संपर्क स्थापित करते है। टोपोलॉजी उन कंप्यूटरों के बीच कम्युनिकेशन का मार्ग निर्धारित करती है। समानता प्रयोग में आने वाली टोपोलॉजी निबंध प्रकार से है –
स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) –
स्टार टोपोलॉजी में एक केंद्रीय कंप्यूटर होता है जो कि प्रत्येक स्थानीय कंप्यूटर से जुड़ा होता है। नेटवर्क में स्थानीय कंप्यूटरों से सीधा लिंक नहीं होता है वह केवल केंद्रीय कंप्यूटर के माध्यम से ही एक दूसरे से संपर्क कर सकते है।
नेटवर्क की व्यवस्था वह संदेश के सूर्य स्थित ट्रांसमिशन की जिम्मेदारी केंद्रीय कंप्यूटर की होती है। इसके प्रयोग में यह फायदा होता है कि इसमें लिनन कम होने के कारण नए केवल लागत कम होती है वर्ण किसी एक कंप्यूटर के खराब हो जाने की स्थिति में भी पूरा नेटवर्क अप्रभावित रहता है।
किसी नए कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ना बहुत आसान होता है, परंतु पूरा नेटवर्क केंद्रीय कंप्यूटर पर आधारित होता है, अतः केंद्रीय कंप्यूटर विश्वसनीय उच्च गति एवं क्षमता वाला होना चाहिए।
रिंग नेटवर्क (Ring Network) –
इस नेटवर्किंग में केंद्रीय कंप्यूटर नहीं होता है, सभी स्थानीय कंप्यूटर एक रिंग में आपस में जुड़े होते है। रिंग का नोट जब डाटा प्राप्त करता है, तब यह निर्णय लेता है कि यह डाटा उसके लिए ही है या नहीं। यदि डाटा उसके लिए नहीं है, तो वह उसे प्रयोग में ले बिना नेटवर्क के अगले नोट की ओर भेज देता है।
इस प्रकार नेटवर्क स्टार की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होती है, क्योंकि कम्युनिकेशन में सभी कंप्यूटर की सहभागिता होती है, परंतु किसी एक भी नोट के खराब हो जाने पर पूरा नेटवर्क रुक जाता है।
बस नेटवर्क (Bus Network) –
इस टोपोलॉजी में एक ही कम्युनिकेशन चैनल को सभी कंप्यूटरों द्वारा काम में लिया जाता है। यह एक ब्रॉडकास्ट नेटवर्क है। जब नेटवर्क का कोई भी कंप्यूटर उसे प्रयोग में लाना चाहता है तो वह पहले से यह जांच करता है कि चैनल व्यस्त तो नहीं है।
जैसे ही चैनल खाली होता है कंप्यूटर अपना संदेश ब्रॉडकास्ट करता है। चैनल पर प्रसारित प्रत्येक संदेश के लिए नेटवर्क का प्रत्येक कंप्यूटर पर यह जांच करता है, कि संदेश में दिया पता समय उसका है कि नहीं और इस प्रकार संदेश कर्तव्य तक पहुंच जाता है। नेटवर्क कम्युनिकेशन की इस विधि को मल्टी पॉइंट अथवा मल्टी ड्रॉप नेटवर्क भी कहते है।
कम्युनिकेशन प्रोटोकोल (Communication Protocol) –
Computer Network – विभिन्न कंप्यूटर जो आपस में जुड़कर कंप्यूटर नेटवर्क बनाते हैं उसके माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान सही होता रहे यह जिम्मेदारी संचार सॉफ्टवेयर की होती है।
इस सॉफ्टवेयर में ही वे नियम और विधियां होती है जो कंप्यूटर को यह निर्देश देती है की डाटा ट्रांसमिशन किस प्रकार और डाटा कम्युनिकेशन को नियंत्रित करती है।
इन नियमों तथा वीडियो के सेट को ही कम्युनिकेशन प्रोटोकोल कहते है। यह डाटा कम्युनिकेशन सॉफ्टवेयर डाटा के त्रुटि रहित कुशल कम्युनिकेशन के लिए निम्न कार्य करता है।
Data का क्रम निर्धारण –
एक लंबे संदेश को छोटे-छोटे ब्लॉक में बांट देता है। यह निश्चित ब्लॉक आकार में पैकेट की तरह और प्रत्येक पैकेट को डाटा फ्रेम में बांट देता है। प्रत्येक फ्रेम डाटा कम्युनिकेशन की इकाई होती है।
Data का पथ निर्धारण –
सेंडर एवं रिसीवर के बीच से सर्वोत्तम सरल व छोटे पद के निर्धारण के लिए विशिष्ट एल्गोरिथम प्रयोग करते है।
Data का प्रवाह नियन्त्रण –
यदि केंद्र तेज गति से डाटा भेज रहा है और रिसीवर धीमी है तो प्रवाह नियंत्रित करना होता है। जिससे ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता रहता है।
Data का त्रुटि नियंत्रण –
संचार के दौरान उत्तर में त्रुटि हो जाने पर ज्ञात करना तथा उसका निवारण करना नेटवर्क की जिम्मेदारी है। पूर्ण विरामप्रहित त्रुटि पूर्ण प्रेम को वापस भेज दिया जाता है।
ओपन सिस्टम इंटर कनेक्शन (Open System Interconnection) –
Computer Network – यह सिस्टम नेटवर्क प्रोटोकोल से संबंधित होता है। पूर्व में प्रत्येक नेटवर्क के अपनी समय के प्रोटोकॉल होते थे, जैसे की – दर्पा का अर्पैनेट, IBM सिंपल नेटवर्क आर्किटेक्चर तथा DIC का डिसनेट।
यह नेटवर्क एक दूसरे के संगत नहीं थे। अतः विभिन्न नेत्रों को के बीच से कम्युनिकेशन संभव नहीं हो पता था। इस समस्या के निदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्थान ने नेटवर्क की संरचना के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मानक दिया जिसे ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन मॉडल कहा गया है।
OSI Model के प्रोटोकॉल कहीं भी स्थिति है किन्हीं भी दो आसमान कंप्यूटर सिस्टम के बीच डाटा ट्रांसमिशन को सुचारू रूप से चलने के लिए बनाए गए है। इस मॉडल में कम्युनिकेशन कार्य को विभिन्न परतों में विभाजित कर दिया है। प्रत्येक पर अपने ऊपर की परत को निश्चित सेवाएं देती है।
वास्तव में ऊपर की परत को निचली परत की कार्य प्रणाली का विस्तार से जानने की आवश्यकता नहीं रहती है। कम्युनिकेशन में प्रयुक्त दोनों कंप्यूटरों के मध्य जैसे कि प्रत्येक परत का अपनी संगत पर से उसे परत के प्रोटोकॉल के अनुसार काल्पनिक कम्युनिकेशन होता है।
OSI Model के इस 7% रूप में वास्तविक डाटा ट्रांसमिशन केवल निमंत्रण पत्र द्वारा अर्थात भौतिक परत के बीच होता है। विभिन्न परतों द्वारा निम्न कार्य किए जाते है –
भौतिक परत (Physical Layer) –
यह परत संरक्षण को यांत्रिक भौतिक तथा विद्युत कार्यों से संबंधित है। यह पर निर्धारण करती है, कि किस प्रकार का माध्यम किस विधि से डाटा संचरण में प्रयुक्त होगा।
डाटा लिंक परत (Data Link Layer) –
यह परत पैकेट को निश्चित आकार में स्वरूप के फ्रेमो में बांट कर यह जिम्मेदारी निभाती है, कि प्रत्येक फ्रेम एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक त्रुटि रहित पहुंच जाए। यह परत फ्रेम का गुम हो जाने अथवा दो या अधिक बार एक ही फ्रेम का पहुंचना जैसे तृतीय का निवारण करती है।
नेटवर्क परत (Network Layer) –
यह परत प्रत्येक संदेश के लिए स्रोत और गंतव्य के बीच पाठ निर्धारण करती है। ये पथ स्थिर भी हो सकते हैं और परिवर्तनीय भी। नेटवर्क पर का यह कार्य है, कि संदेश को पैकेट में बांटे और प्रत्येक पैकेट में स्रोत तथा गंतव्य का पता डालें।
ट्रांसपोर्ट परत (Transport Layer) –
सेंडर और रिसीवर के बीच पथ निर्दिष्ट हो जाने पर ट्रांसपोर्ट पर पूरे सेशन के डाटा को स्रोत से गंतव्य तक पहुंचाने के प्रभाव का नियंत्रण करती है।
सेशन परत (Session Layer) –
लंबे संदेशों को सेशन में बांटने और प्रत्येक सेशन के संरक्षण में संबंध स्थापित करने का कार्य यहीं पर करती है।
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निष्कर्ष (Conclusion) –
Computer Network – दोस्तों आज हमने आपको “Computer Network क्या है?” के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध करवाई है। अगर आपको यह Article (आर्टिकल) अच्छा लगा है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर Share करें और अगर आप इस Article (आर्टिकल) से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते है।
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